रामोत्सवो मान्यताम्
आयाहि राम नवनिर्मितमन्दिरे त्वम्।
भव्यं निवासमिदमद्भुतमद्य भाति।
ब्रूमो वयं सपदि मञ्जुल स्वागतं ते
माङ्ल्यमस्तु वसतिः शुचि भारते ते।।१।।
योऽयोध्यां निवसन्नहो बहुविधां लीलां चकार प्रभुः,
नैकैः जीवनमर्पितं त्विह गृहं निर्मातुकामैर्नवम्।
तत्तावन्नयनाऽभिराममयनं ह्युद्घाट्यते साम्प्रतं
तत्रस्थाय सुपूजिताय सुखिने रामाय तस्मै नमः।।२।।
धर्मस्योज्जवल -विग्रहः स भगवान् रामः परं कीर्तिमान्
भूमौ योऽवततार दुष्टदलनायोद्धर्तुकामः सताम्।
कौशल्यातनयः स्वकीयजनुषाऽलङ्कर्तुमेतां भुवम्
आयातः, परिवर्धमान-विभवो रामोत्सवो मान्यताम्।।३।।
हे राम!अपने नवनिर्मित मन्दिर में आओ, तुम्हारा भव्य निवास अद्भुत है।हम तुम्हारा मनोहर स्वागत करते हैं। पवित्रभारत में तुम निवास करो।जिस प्रभु ने अयोध्या में जन्म ले कर अनेक बाल लीलायें कीं,जिनकी जन्मभूमि में नया घर बनाने के लिये बहुत लोगों ने अपने प्राण गंवाये,
उन्हीं राम का नयनाभिराम भवन अब बन चुका है,उसका उद्घाटन अब हो रहा है।ऐसे पूजा से सुखी राम को नमस्कार है। श्री रामजी धर्मस्वरूप हैं,जो सज्जनों की रक्षा और दुष्टों के दलन के लिये पृथ्वी पर आये।उन कौशल्या के पुत्र ने अपने जन्म से इस भूमि को धन्य किया,वे आज आगये हैं।अब हम लोग वैभव को बढाने वाला रामोत्सव मनायें।